अनुसूचित जनजातियों की जनांकिकीय प्रवृत्तियां एवं आर्थिक विकास पर प्रभाव

 

डाॅ अर्चना सेठी

सहायक प्राध्यापकए अर्थशास्त्र अघ्ययनशालाए पं रविशंकरशुक्ल विश्वविद्यालयए रायपुर

ब्वततमेचवदकपदह ।नजीवत म्.उंपसरू ंतबींदंेमजीप96/हउंपसण्बवउ

 

।ठैज्त्।ब्ज्रू

आर्थिक विकास अनेक तत्वों से प्रभावित होता है जनसंख्या उनमें से प्रमुख तत्व है। जनांकिकीय प्रवृतियां किसी भी देश की विकास को प्रभावित करता है। जनांकिकीय प्रवृतियां किसी देश के शासकीय नीतियों को प्रभावित करता है तथा स्वयं प्रभावित भी होता है। क्षेत्रीय विकास के साथ जनसंख्या उस ओर आकर्षित होती है जहां औद्योगीकरण एवं नगरीकरण होता है। जनसंख्या के वितरण प्रतिरूप पर सामाजिक आर्थिक कारण लिंगानुपात जन्म दर मृत्यु दर एवं प्रवास प्रभाव डालते है। जलवायु, भैगोलिक स्थिति, उच्चावचन, फसलों की प्रकृति, मिट्टी की उर्वरता आदि भी जनसंख्या वितरण को प्रभावित करते है। लिंगानुपात से किसी क्षेत्र के विकास के स्तर का ज्ञान हो सकता है, अधिक विकसित देशों में लिंगानुपात अधिक होती है, तथा पिछड़े देशों में लिंगानुपात कम होती है।जनसंख्या घनत्व एवं आथर््िाक विकास में कोई सीधा संबंध नहीं हैे। मैदानी क्षेत्र में जनसंख्या घनत्व अधिक एवं पहाडी तथा वन क्षेत्र में जनसंख्या घनत्व कम है।मैदानी क्षेत्र में औद्योगीकरण अधिक होना भी अधिक घनत्व का कारण है। भारत की 8ण्6 प्रतिशत जनसंख्या जनजाति है। भारत का विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक जनजातियों का विकास हो। भारत की आर्थिक और सामाजिक प्रगति में जनजातियों को बराबरी का हक नहीं मिल सका।इसके लिए सरकार की नीतियों को ही दोष नही दे सकते इसके लिए जनजातियों की अलग रहने की प्रवृति एवं अपनी विशिष्ट संस्कृति है। विश्व बैंक के अनुसार बेहतर स्वास्थ्य केवल बीमारी एवं कुपोषण से मुक्ति से प्राप्त नहीं होगा बल्कि शारीरिक मानसिक एवं सामाजिक उन्नति से प्राप्त होगा।जनजाति समाज जंगल में निवास करता है। जनसंख्या शिक्षा गरीबी के आंकडों से यह स्पष्ट है कि मानव विकास में जनजाति समाज बहुत पिछडा हुआ है जनजाति जनसंख्या की दृष्टि से अफ्रीका के बाद भारत दूसरा बडा देश है। देश की कुल आबादी में जनसंख्या आयोग 2011 के अनुसार जनजाति जनसंख्या का प्रतिशत 8ण्2 है। अकेले छत्तीसगढ में जनजाति जनसंख्या का 32 प्रतिशत निवास करती है। किसी समाज के विकास एवं सामाजिक संरचना का सबसे बडा पैमाना स्त्री पुरुष अनुपात होता है। इस मामले में जनजाति समाज प्रगतिशील है जनगणना 2011 के अनुसार देश के स्त्री पुरुष अनुपात 940 की तुलना में जनजातियों में स्त्री पुरुष अनुपात 990 है।

 

ज्ञम्ल्ॅव्त्क्ैरू जनजाति, आर्थिक विकास, जनसंख्या घनत्व, लिंगानुपात

 

 

प्रस्तावना

ऐसी जनजाति जिन्हें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत अंतर्गत सूचीबद्ध किया गया है, अनुसूचित जनजाति कहलाते है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत राष्ट्रपति को अधिकार है कि वह किसी भी जनजाति समूह को अनुसूचित घोषित कर सकता है। होगा।जनजाति समाज जंगल में निवास करता है।जनसंख्या शिक्षा गरीबी के आंकडों से यह स्पष्ट है कि मानव विकास में जनजाति समाज बहुत पिछडा हुआ है जनजाति जनसंख्या की दृष्टि से अफ्रीका के बाद भारत दूसरा बडा देश है। देश की कुल आबादी में जनसंख्या आयोग 2011 के अनुसार जनजाति जनसंख्या का प्रतिशत 8ण्6 है। अकेले छत्तीसगढ में जनजाति जनसंख्या का प्रतिशत 32 है। भारत की स्वतंत्रताकी  लडाई में अनुसूचित जनजातियों की निर्णायक भूमिका रही लेकिन भारत के विकास से उन्हें दूर रखा गया। इसकी एक झलक इतिहास लेखन में ही पा सकते हैजहां लम्बे समय तक उन्हें स्थान ही नहीं दिया गयाजब इतिहास लेखन में नीचे देखने का दृष्टिकोण विकसीत हुआ तब उनकी भूमिका सामने सकी। उनकी अपनी विशिष्ट संस्कृति  उत्पादन की भिन्न तरीके जीवन जीने की शैली आधुनिकीकरण से दूरी आथर््िाक विकास से दूरी प्रमुख कारण बना। यद्यपि भारतीय संविधान मेंउन्हें पर्याप्त संरक्षण और पंचवर्षीय योजनाओं क्ै अंतर्गत भारत की विकास की रणनीति में उनके विकास को काफी महत्व दिया गया है इसके बाद भी वे वंचित की श्रेणी स्ेा ज्यादा आगे नहीं बढ पाए हैं।             

 

 

ज्ंइसम.1 च्तवचवतजपवद िैबीमकनसमक ज्तपइम च्वचनसंजपवद जव ज्वजंस च्वचनसंजपवद

ब्मदेने ल्मंत ैज्ै च्वचनसंजपवद ; िजवजंस चवचनसंजपवदद्ध ैज् ज्वजंस च्वचनसंजपवद ;उपससपवदद्ध ैज् त्नतंस ;उपससपवदद्ध     ैज् न्तइंद ;उपससपवदद्ध

1961  6ण्9  30ण्1 29ण्4 0ण्8

1971  6ण्9  29ण्4 36ण्7 1ण्3

1981  7ण्8  51ण्6 48ण्4 3ण्2

1991  8ण्1  67ण्8 62ण्8 5ण्0

2001  8ण्2  84ण्3 77ण्3 7ण्0

2011  8ण्6  104ण्3 93ण्8 10ण्5

ैवनतम.ब्मदेने िप्दकपं 2011ण्

 

 

अध्ययन का उददेश्य रू

प्रस्तुत अध्ययन का निम्नलिखित उददेश्य है

1 अनुसूचित जनजातियों  की जनांकिकीय प्रवृतियों का अध्ययन करना।

2 जनांकिकीय प्रवृतियों का आर्थिक विकास पर प्रभाव का अध्ययन करना।

 

शोध प्रविधी

प्रस्तुत अध्ययन हेतु जनगणना 2001 एवं 2011 जनगणना के समंकों का प्रयोग किया गया है।आवश्यकतानुसार तालिका एवं रेखाचित्र का प्रयोग किया गया है।

 

किसी प्रदेश में जनसंख्या के वितरण में विभिन्नतायें पायी जाती है, जनसंख्या वितरण प्रारूप सिर्फ मनुष्य के किसी क्षेत्र विशेष में निवास संबंधी अभिरूची एवं विरूची का द्योतक होता है, अपितु क्षेत्र में कार्यरत भौगोलिक कारणों के संश्लेषण का स्पष्ट प्रदर्शन भी होता है। जनगणना 1961 में कुल जनसंख्या में अनुसूचित जनजातियों का प्रतिशत 6ण्9 प्रतिशत था वह जनगणना 1971 में भी स्थिर रहा जनगणना 1981 में यह बढकर 7ण्8 प्रतिशत हो गया।  जनगणना 1991 में कुल जनसंख्या में अनुसूचित जनजातियों का प्रतिशत बढकर 8ण्1 हो गया 2001 में यह 8ण्2 एवं 2011 में यह 8ण्6 प्रतिशत हो गया।

 

ज्ंइसम .2 क्मबंकंस ळतवूजी तंजम िज्वजंस ंदक ैज्ै च्वचनसंजपवद:

ल्मंत  क्मबंकंस  ळतवूजी तंजम िैज्ै च्वचनसंजपवद:

   क्मबंकंस  ळतवूजी तंजम ि ज्वजंस च्वचनसंजपवद:

   ळंच

1971.81     35ण्79 25ण्व 10ण्79

1981.91     31ण्67 23ण्51 8ण्16

1991.2001    24ण्45 22ण्66 1ण्79

2001.2011    23ण्66 17ण्69 5ण्97

ैवनतबम.ैबीमकनसमक ज्तपइमे पद पदकपंए ब्मदेने 2011 

 

जनसंख्या वृद्धि दर महत्वपूर्ण जनांकिकीय तत्व है, किसी क्षेत्र की जनसंख्या के आकार के किसी विशिष्ट समयावधि में परिवर्तन को ही जनसंख्या वृद्धि दर कहा जाता है, यह परिवर्तन धनात्मक या ऋणात्मक दोनों प्रकार का हो सकता है, जनसंख्या वृद्धि जनांकिकीय गतिशीलता को प्रकट करती है। जनसंख्या में कमी या वृद्धि से किसी भी क्षेत्र राज्य या देश की आर्थिक उन्नति या अवनति का आकलन एक सहज रूप में किया जाता है, जनसंख्या वृद्धि उस क्षेत्र के विकास को किस प्रकार प्रभावित करती है यह अन्य क्षेत्रों के तुल्नात्मक अध्ययन करने के साथ परिस्थ्तििजन्य मूल्यांकन करने से जाना जा सकता है। 1971 से 1981 के मध्य कुल जनसंख्या में वृद्धि दर 25 प्रतिशत था इसी अवधि में जनजाति में वृद्धिदर 35ण्79 प्रतिशत था 1981 से 1991 के मध्य कुलजनसंख्या में वृद्धि दर 23ण्51 प्रतिशत था इसी अवधि में जनजाति में वृद्धिदर 31ण्67 प्रतिशत था 1991 से 2001 के मध्य कुलजनसंख्या में वृद्धि दर 22ण्66 प्रतिशत था इसी अवधि में जनजाति में वृद्धिदर 24ण् 45 प्रतिशत था 2001 से 2011 के मध्य कुल जनसंख्या में वृद्धि दर 17ण्69 प्रतिशत था इसी अवधि में जनजाति में वृद्धिदर 23ण्66 प्रतिशत था। प्रत्येक दशक में जनजातियों में वृद्धि दर कुल जनसंख्या में वृद्धि दर से अधिक था।

 

 

ज्ंइसम 3 ैजंजम ूपेम ैबीमकनसमक ज्तपइम चवचनसंजपवद ंदक कमबंकंस बींदहम इल तमेपकमदबम रू 2011 ;ज्व्ज्।स्द्ध

ैजंजमध्न्ज् ब्वकम प्दकपंध्ैजंजमध्न्दपवद ज्मततपजवतल            ैबीमकनसमक ज्तपइम चवचनसंजपवद

                 2011     क्मबंकंस बींदहम

2001.2011

      ज्वजंस      त्नतंस       न्तइंद       ज्वजंस      त्नतंस       न्तइंद

                        प्छक्प्। 104281034       93819162 10461872 23ण्7 21ण्3    49ण्7

1 श्रंउउन - ज्ञंेीउपत   1493299   1406833   86466      35    33ण्4 67ण्9

2 भ्पउंबींस च्तंकमेी     392126     374392     17734      60ण्3 57ण्9 135ण्6

3 च्नदरंइ   छैज् छैज् छैज् छैज् छैज् छैज्

4 ब्ींदकपहंती रु     छैज् छैज् छैज् छैज् छैज् छैज्

5 न्जजंतंाींदक      291903     264819     27084      14    10ण्2 70ण्1

6 भ्ंतलंदं   छैज् छैज् छैज् छैज् छैज् छैज्

7 छब्ज् िक्मसीप रु छैज् छैज् छैज् छैज् छैज् छैज्

8 त्ंरंेजींद       9238534   8693123   545411     30ण्2 29ण्4 43ण्6

9 न्जजंत च्तंकमेी 1134273   1031076   103197     950ण्6      976   750ण्4

10 ठपींत    1336573   1270851   65722      76ण्2 77ण्1 61ण्7

11 ैपाापउ 206360     167146     39214      85ण्2 64    313

12 ।तनदंबींस च्तंकमेी    951821     789846     161975     35    30ण्3 63ण्8

13 छंहंसंदक      1710973   1306838   404135     .3ण्6 .15ण्4       75ण्7

14 डंदपचनत      902740     791126     111614     21ण्8 12ण्1 216ण्8

15 डप्रवतंउ 1036115   507467     528648     23ण्4 17ण्8 29ण्4

16 ज्तपचनतं      1166813   1117566   49247      17ण्5 15ण्5 93ण्7

17 डमहींसंलं      2555861   2136891   418970     28ण्3 27    35  ण्1

18 ।ेेंउ 3884371   3665405   218966     17ण्4 16ण्2 42ण्2

19 ॅमेज ठमदहंस 5296953   4855115   441838     20ण्2 17ण्4 63ण्4

20 श्रींताींदक      8645042   7868150   776892     22    21    32ण्3

21 व्कपेीं    9590756   8994967   595789     17ण्7 16ण्8 33ण्4

22 ब्ीींजजपेहंती     7822902   7231082   591820     18ण्2 15ण्4 68ण्2

23 डंकीलं च्तंकमेी 15316784 14276874 1039910   25ण्2 24ण्7 32ण्1

24 ळनरंतंज       8917174   8021848   895326     19ण्2 16ण्8 45ण्7

25 क्ंउंद - क्पन रु       15363      7617       7746       9ण्8 .31ण्9       175ण्8

26 क् - भ्ंअमसप रु   178564     150944     27620      30ण्1 18ण्5 181ण्4

27 डंींतंेीजतं 10510213 9006077   1504136   22ण्5 20ण्3 37ण्9

28 ।दकीतं च्तंकमेी       5918073   5232129   685944     17ण्8 12ण्6 81ण्9

29 ज्ञंतदंजंां     4248987   3429791   819196     22ण्7 16ण्9 54ण्7

30 ळवं     149275     87639      61636      .     .     .

31 स्ंोींकूममच रु    61120      13463      47657      6ण्6 .58ण्2       89ण्8

32 ज्ञमतंसं 484839     433092     51747      33ण्1 23ण्7 265ण्2

33 ज्ंउपस छंकन 794697     660280     134417     22    19ण्8 34ण्2

34 च्नकनबीमततल रु    छैज् छैज् छैज् छैज् छैज् छैज्

35 - प्ेसंदके रु    28530      26715      1815       .3ण्2 .6ण्1 79ण्2

ैवनतबमरू क्मउवहतंचीपब ेजंजने िैबीमकनसमक जतपइम चवचनसंजपवद िप्दकपं 2011ण्

 

 

नगरीकरण आर्थिक विकास का पर्याय माना जाता है। जनगणना 2001 से 2011 के मध्याारत में अनुसूचित जनजाति जनसंख्या में दशकीय वृद्धिदर 23ण्7 था तथा 18 राज्यों में वृद्धिदर भारतीय औसत से कम है। जनगणना 2001 से 2011 के मध्य अनुसूचित जनजाति जनसंख्या में दशकीय वृद्धिदर सर्वाधिक उत्तरप्रदेश 950ण्6 प्रतिशत सिक्किम 85ण्2 बिहार 76ण्2 प्रतिशत तथा अनुसूचितजनजाति जनसंख्या में सबसे कम दशकीय वृद्धिदर नागालैंड 3ण्6 अंडमान निकोबार 3ण्2 हई। जनगणना 2001 से 2011 के मध्य भारत में ग्रामीण अनुसूचितजनजाति जनसंख्या में दशकीय वृद्धिदर 21ण्3 था 18 राज्यों में वृद्धि दर भारतीय औसत से कम था तथाराज्यों में ग्रामीण अनुसूचितजनजाति जनसंख्या में दशकीय वृद्धिदर सर्वाधिक उत्तरप्रदेश 976 बिहार 77ण्1 प्रतिशत एवं सिक्किम 64 प्रतिशत तथा ऋणात्मक वृद्धिदर लक्षदीव 58 एवं दमन एवं दीव 31ण्9 रही। जनगणना 2001 से 2011 के मध्य भारत में शहरी अनुसूचितजनजाति जनसंख्या में दशकीय वृद्धिदर 49ण्7 था 10 राज्यों में वृद्धि दर भारतीय औसत से कम था शहरी जनसंख्या में सर्वाधिक वृद्धि उत्तरप्रदेश 750ण्4 प्रतिशत सिक्किम 313 प्रतिशत एवं केरल 265ण्2 प्रतिशत हुईं एवं ऋणात्मक वृद्धिदर मध्यप्रदेश 32ण्1 एवं मिजोरम 29ण्4 प्रतिशत हुई। तालिका 3 रेखाचित्र 2-3

 

 

रेखाचित्र 1

 

 

रेखाचित्र 1 में 1961 से 2011 तक अनुसूचित जनजाति जनसंख्या को दर्शाया गया है 1961 में कुल अनुसूचित जनजाति जनसंख्या 30ण्1 मिलियन थी जिसमें से 29ण्4 मिलियन ग्रामीण एवं 0ण्8 मिलियन शहरी थी। 1971 में कुल अनुसूचित जनजाति जनसंख्या 38 मिलियन थी जिसमें से 36ण्7 मिलियन ग्रामीण एवं 1ण्3 मिलियन शहरी थी।1981 में कुल अनुसूचित जनजाति जनसंख्या 51ण्6 मिलियन थी जिसमें से 48ण्4 मिलियन ग्रामीण एवं  3ण्2 मिलियन शहरी थी। 1991 में कुल अनुसूचित जनजाति जनसंख्या 67ण्8 मिलियन थी जिसमें से 62ण्8 मिलियन ग्रामीण एवं  5 मिलियन शहरी थी। 2001 में कुल अनुसूचित जनजाति जनसंख्या 84ण्3 मिलियन थी जिसमें से 77ण्3 मिलियन ग्रामीण एवं 7 मिलियन शहरी थी। थी। 2011 में कुल अनुसूचित जनजाति जनसंख्या 104ण्3 मिलियन थी जिसमें से 93ण्8 मिलियन ग्रामीण एवं 10ण्5 मिलियन शहरी थी।

 

रेखाचित्र 2 में राज्यों में ग्रामीण अनुसूचित जनजाति जनसंख्या को दर्शाया गया है ग्रामीण अनुसूचितजनजाति जनसंख्या में दशकीय वृद्धिदर सर्वाधिक उत्तरप्रदेश 976 प्रतिशत बिहार 77ण्1 प्रतिशत एवं सिक्किम 64 प्रतिशत तथा ऋणात्मक वृद्धिदर लक्षदीव .58 प्रतिशत एवं दमन एवं दीव 31ण्9 प्रतिशत नागालैंड 15ण्4 प्रतिशत अंडमान निकोबार 6ण्1 प्रतिशत है। रेखचित्र 2                              

 

शहरी जनसंख्या में सर्वाधिक वृद्धि उत्तरप्रदेश 750ण्4 प्रतिशत सिक्किम 313 प्रतिशत एवं केरल 265ण्2 प्रतिशत हुईं एवं सबसे कम वृद्धिदर मध्यप्रदेश 32ण्1एवं मिजोरम 29ण्4 प्रतिशत हुई। तालिका 3

 

 

 

 

लिंगानुपात प्रति हजार पुरुषों के पीछे महिलाओं की संख्या को बताता है। किसी समाज के विकास एवं सामाजिक संरचना का सबसे बडा पैमाना लिंगानुपात होता है।इस मामले में जनजाति समाज प्रगतिशील है जनगणना 2011 के अनुसार देश के लिंगानुपात  940 की तुलना में जनजातियों में लिंगानुपात 990 है। अनुसूचित जनजातियों में लिंगानुपात 2001 में 978 था जो 2011 में 990 हो गया।दशकीय वृद्धि 12 हुई।भारत के सभी राज्यों में लिंगानुपात 2001 की तुलना में 2011 में वृद्धि हुई केवल दादर एवं नागर हवेली 1024 से 1010 एवं अंडमान निकोबार 948 से 937 हो गया। भारत में ग्रामीण अनुसूचितजनजातियों में लिंगानुपात 981 से 991 एवं शहरी लिंगानुपात 944 से 980 हो गया।2001 में राज्यों में सर्वाधिक लिंगानुपात दादर एवं नागर हवेली 1028 केरल 1021 एव छत्तीसगढ 1013 था जो 2011 में सर्वाधिक लिंगानुपात गोआ 1046 केरल 1035 एवं अरुणाचल प्रदेश 1032 था। 2001 में भारत में अनुसूचित जनजातियों में लिंगानुपात 978 था तथा 13 राज्यों में लिंगानुपात भारतीय औसत से अधिक था।

 

जनगणना 2001 में ग्रामीण अनुसूचितजनजातियों में लिंगानुपात भारत में 981 था तथा 10 राज्य में लिंगानुपात इससे अधिक था। 2001 में राज्यों में सबसे अधिक लिंगानुपात छत्तीसगढ 1037 केरल 1020 था उडीसा 1017 था एवं ग्रामीण अनुसूचित जनजातियों में लिंगानुपात 2001 में सबसे कम बिहार 927 उत्तरप्रदेश 933 नागालैंड 943 था जो 2011 में सर्वाधिक उडीसा 1031 अरुणाचलप्रदेश 1022 छततीसगढ 1021सबसे कम जम्मू कश्मीर 924 अंडमान निकोबार 931 राजस्थान 942 हो गया। भारत में ग्रामीण अनुसूचित जनजातियों में लिंगानुपात 2001 की तुलना में 2011 में 4 राज्य में कमी आयी शेष राज्य में लिंगानुपात में वृद्धि हुई।

 

शहरी अनुसूचित जनजातियों में लिंगानुपात 2001 में भारत में लिंगानुपात 944 था तथा भारत के 14 राज्यों में इससे अधिक लिंगानुपात था। राज्यों में सबसे अधिक मेघालय 1072 केरल 1057 एवं सिक्किम 1024 तथा कम लिंगानुपात अंडमान निकोबार 796 जम्मू कश्मीर 799 हिमाचल प्रदेश 809 था जो 2011 में राज्यों में सबसे अधिक लिंगानुपात अरुणाचल प्रदेश 1083 केरल 1070 गाोवा 1076 हो गया। शहरी अनुसूचित जनजातियों में लिंगानुपात 2001 की तुलना में 2011 में सभी राज्यों में वृद्धि हुई केवल तमिलनाडु में 997 से 980 हो गया लक्षदीव में 1006 पर स्थिर है।

 

 

 

किसी भी देश के आर्थिक विकास के निर्धारक घटकों में प्रमुख घटक साक्षरता है। राज्य के विकास हेतु प्राकृतिक एवं मानवीय संसाधन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है, परन्तु अभी भी राज्य में विकास हेतु आवश्यक कुशल एवं प्रश्क्षिित जनशक्ति का अभाव है। शिक्षा एक ऐसा आर्थिक एवं सामाजिक घटक है जो व्यक्ति की उत्पादकता में वृद्धि के साथ-साथ एक सुदृढ़ परिवार एवं समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कसी भी देश के सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक प्रगति के मापदण्ड का आधार उस क्षेत्र की जनसंख्या की साक्षरता से निर्धारित होता है प्रजातांत्रिक शासन में शिक्षित नागरिक ही मताधिकार का उपयोग एक निश्चित दिशा में करता है साक्षरता जन्मदर, मृत्युदर, विवाह के समय स्त्री आयु आदि को प्रभावित करता है। अतः किसी क्षेत्र के सम्पूर्ण सामाजिक, आर्थिक क्रियाकलापों के अध्ययन हेतु साक्षरता का ज्ञान आवश्यक है दशक में राज्य के साक्षरता दर में वृद्धि हुई है। किसी प्रदेश में जनसंख्या की साक्षरता में परिवर्तन महत्वपूर्ण स्थान रखता है क्योंकि इसके द्वारा ही प्रदेश में विकास एवं आयोजन हेतु रुपरेखा निर्धारित की जाती है

 

तलिका 6 में अनुसचित जनजातियों की जनसंख्या में महिला एवं पुरुष में साक्षरता को दिखाया गया है। 1961 में अनुसचित जनजातियों में पुरुषों में सााक्षरता 13ण्83 प्रतिशत था तथा महिलाओं में 3ण्16 प्रतिषत था कुल साक्षरता 8ण्53 प्रतिशत था इसी अवधि में भारत की जनसंख्या में पुरुषों में सााक्षरता 40ण्40 प्रतिशत था तथा महिलाओं में 15ण्35 प्रतिषत था कुल जनसंख्या में सााक्षरता 28ण्3 प्रतिशत था।

 

2011 में अनुसचित जनजातियों में पुरुषों में सााक्षरता 68ण्5 प्रतिशत था तथा महिलाओं में 49ण्4 प्रतिषत था कुल साक्षरता  59 प्रतिशत था इसी अवधि में भारत की कुल जनसंख्या में सााक्षरता 73 प्रतिशत था पुरुषों में सााक्षरता 13ण्83 प्रतिशत था तथा महिलाओं में 3ण्16 प्रतिषत था। था 1961 में कुल जनसंख्या तथा अनुसचित जनजातियों की जनसंख्या में साक्षरता अंतराल 19ण्77 पुरुषों में 26ण्57 एवं महिलाओं में 12ण्97 प्रतिशत था। 2011 में कुल जनसंख्या तथा अनुसचित जनजातियों की जनसंख्या में साक्षरता अंतराल 14ण्0 पुरुषों में 12ण्4 एवं महिलाओं में 15ण्2 प्रतिशत था।1961 से 2011 में कुल जनसंख्या तथा अनुसचित जनजातियों की जनसंख्या में साक्षरता अंतराल 14ण्17 प्रतिशत कमी पुरुषों में 5ण्77 प्रतिशत कमी आयी एवं महिलाओं में 3ण्01 प्रतिशत वृद्धि हुई।

 

कुल साक्षरता दर एवं उसे निर्धारित करने वाले कारकों के मध्य संबंधों का अध्ययन करने पर यह ज्ञात हुआ कि राज्य की जनसंख्या धनत्व, नगरीय जनसंख्या दर, प्रति व्यक्ति आय, औद्योगीकरण, नगरीकरण का साक्षरता दर पर धनात्मक प्रभाव पड़ा है। देष में साक्षरता दर में वृद्धि के साथ-साथ औद्योगीकरण एवं नगरीयकरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है, साथ ही कुषल जनषक्ति के निर्माण हेतु षिक्षण एवं प्रषिक्षण कार्यषालाओं एवं संस्थाओं का तीव्रगति से विकास हो रहा है। देष में साक्षरता का तीव्रगति से विकास हो रहा है जिससे नागरिकों में जागरूकता की भावना का संचार होने के साथ साथ वे शासन द्वारा चलायी जा रही विभिन्न योजनाओं से लाभ प्राप्त करने में सक्षम हो रहे है। 2004-05 के गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले जनसंख्या के प्रतिषत का विश्लेषण करने से यह स्पष्ट होता है कि गरीबी की दर 1995-96 में 62.19 प्रतिषत जो 2004-05 में घटकर 42 हो गई, वहीं नगरीय क्षेत्रों में यह दर 17.24 से 10.70 हो गये, इसका सीधा संबंध साक्षरता में वृद्धि से है, साक्षरता एवं तीव्र औद्योगीकरण का धनात्मक सहसंबंध है।

 

पहली एवं दूसरी पंचवर्षीय योजना में अनुसूचित जनजातियों के विकास के लिए जनजाति क्षेत्रों में सामाजिक आर्थिक समस्याओं के बुनियादी विकास कार्यक्रमों की योजना बनायी गयी। तीसरी योजना में वैरियर एल्विन समिति की संस्तुति पर जनजातीय विकास खंड ब्यवस्था को लागू किया गया।यह ब्यवस्था जनजातियों को पंचायत संस्थाओं के माध्यम से विकसीत करने के लिए अपनाया गया।चतुर्थ योजना में जहां अनुसूचित जनजातियों की संख्या अधिक थी वहां 489 विकासखंड बनाया गया। इस योजना पर 75 करोड खर्च किया गया।पंाचवी योजना में सहायक योजनाएं शामिल की गई इसके लिए ट्रायबल सब प्लान क्षेत्रों को 178 जनजाति परियोजना में संगठित किया गया। छठी योजना में 10000 जनजाति जनसंख्या के पाकेटस बनाकर माडीफायड एरिया डेवलपमेंट एप्रोच सिस्टम विकसित किया गया। सातवीं योजना में सिक्किम में तीन नये एकीकृत जनजाति विकास कार्यक्रम  शामिल किया गया। जिससे 1987 88 तक 184 एकीकृत जनजाति विकास कार्यक्रम  क्रियाशील हुए जिनके अंतर्गत 313 21 लाख जनजाति आबादी आती है।आज भी योजनाओं में सरकारी शिक्षण सस्थाओं एवं नौकरीयों में उनके लिए स्थान आरक्षित है। ग्यारहवीं एवं बारहवीं योजनाओं में समावेशी विकास की रणनीति अपनाकर समाज के निम्न तबके के लोगों के विकास की दिशा में प्रयास जारी हैं

 

निष्कर्ष

अनुसूचित जनजातियों की जनांिककीय प्रवित्तियों के अध्ययन से यह स्पष्ट होता है उनके आर्थिक विकास में पिछडे होने के अनेक कारणों में से एक कारण उनकी जनांिककीय प्रवित्तियां भी है।साक्षरता में कमी सबसे प्रमुख कारण है जो उनके विकास में बाधक है। अभी भी सामान्य वर्ग एवं अनुसूचित जनजातियों की साक्षरता में 14ण्03 प्रतिशत वर्ग अंतराल है।

 

संदर्भ

 

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Received on 08.03.2019            Modified on 20.04.2019

Accepted on 16.05.2019            © A&V Publications All right reserved

Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2019; 7(2):419-425.